पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। इस दिन बुराई के अंत और अच्छाई की विजय का प्रतीक मनाया जाता है। इसके अगले दिन, जिसे धुलेंडी कहा जाता है, लोग रंग, गुलाल और खुशी के साथ त्योहार का आनंद लेते हैं। यह दो दिवसीय उत्सव भारत के हर कोने में अलग-अलग परंपराओं और रंग-बिरंगे रूपों में मनाया जाता है।